शीघ्रपतन एवं होम्योपैथीक उपचार
शीघ्रपतन एक ऐसा रोग है जो आज के नवयुवकों में महामारी की तरह फैल रहा है। एक अमेरिकी सर्वे के अनुसार दुनिया की 4० प्रतिशत पुरूष शीघ्रपतन की समस्या के शिकार हैं। हालांकि यह समस्या गर्भधारण या जनन के लिए बाधा उत्पन्न नहीं करती है, फिर भी यह आपके स्वस्थ शरीर और अच्छे व्यक्ितत्व के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है। यह रोग युवकों को शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी नुकसान पहुंचा रहा है। असल में शीघ्रपतन है क्या यह बात जानना जरूरी है क्योंकि बहुत से युवक तो सिर्फ इसके नाम से ही बुरी तरह भयभीत हो जाते हैं। पुरुष की इच्छा के विरुद्ध उसका वीर्य अचानक स्खलित हो जाए, स्त्री सहवास करते हुए संभोग शुरू करते ही वीर्यपात हो जाए और पुरुष रोकना चाहकर भी वीर्यपात होना रोक न सके, अधबीच में अचानक ही स्त्री को संतुष्टि व तृप्ति प्राप्त होने से पहले ही पुरुष का वीर्य स्खलित हो जाना या निकल जाना, इसे शीघ्रपतन होना कहते हैं। शीघ्र पतन की सबसे खराब स्थिति यह होती है कि सम्भोग क्रिया शुरू होते ही या होने से पहले ही वीर्यपात हो जाता है। सम्भोग की समयावधि कितनी होनी चाहिए यानी कितनी देर तक वीर्यपात नहीं होना चाहिए, इसका कोई निश्चित मापदण्ड नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति पर निर्भर होता है। शीघ्रपतन की बीमारी को नपुंसकता श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि यह बीमारी पुरुषों की मानसिक हालत पर भी निर्भर रहती है। मूलरूप से देखा जाय तो 95 फीसदी शीघ्रपतन के मामले मानसिक हालत की वजह से होते हैं और इसके पीछे उनमें पाई जाने वाली सेक्स अज्ञानता व शीघ्रपतन को बीमारी व शीघ्रपतन से संबंधी बिज्ञापन होते हैं। इस समस्या से ग्रसित व्यक्ित के स्वभाव में सबसे पहले परिवर्तन आता है। आमतौर पर यह देखा जाता है कि इस परेशानी की वजह से पीडि़त व्यक्ित का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। वह अक्सर सिरदर्द जैसे शारीरिक समस्याओं से भी ग्रसित हो सकता है या कुछ समय के बाद सेक्स में अरूचि भी आ जाने की संभावना रहती है। इसके अलावा शारीरिक दुर्बलता भी हो सकती है। आज भी बहुत से लोग इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेते हैं। जो लेते भी हैं वह इस समस्या को किसी के सामने रखने से डरते हैं। यह समस्या असाध्य नहीं है। लेकिन दुर्भाग्य से इसके उपचार को लेकर लोगों में अनेक तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं। जबकि कुछ उपयोगी दवाएं एवं सेक्स के कुछ तरीकों में परिवर्तन करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।
शीघ्रपतन के स्तर:
मशहूर ब्रिटिश यौन विशेषज्ञ सी. डब्ल्यू. हेस्टिंग्स के अनुसंधानों के परिणामों के अनुसार शीघ्रपतन के चार स्तर होते हैं जो अनेक कारकों के आधार पर निर्धारित किया जाता है, जैसे वह किस कारण से हो रहा है, कितना गंभीर है और रोगी कितने समय से उससे पीड़ित रहा है। इनमें से प्रत्येक स्तर उसके कारणों से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है।
स्तर १: यह किशोरों में बहुत सामान्य होता है और इस स्तर की विशेषताओं में शामिल हैं किशोरावस्था और पूर्वकिशोरावस्था में खराब हस्तमैथुन आदतें। बहुत तेजी से हस्तमैथुन करने से, क्योंकि यह डर बना रहता है कि कोई पकड़ न ले, स्खलनीय प्रतिवर्ती क्रिया का असली मकसद ही खारिज हो जाता है, और उसके स्थान पर बहुत जल्द चरम स्थिति (ओर्गैसम) तक पहुंचने की आवश्यकता सर्वोपरि महत्व धारण कर लेती है। उचित उपचार विधि अपनाकर रोगी कुछी ही दिनों में पूरी तरह ठीक हो जाता है।
स्तर २: आमतौर पर यह युवा वयस्कों और कभी-कभी किशोरों को पीड़ित करता है। कार्य से संबधित अथवा निजी समस्याएं, जिनमें तनावपूर्ण और कठिन स्कूल दिनचर्या भी शामिल है, बिना किसी चेतावनी के शीघ्रपतन स्तर 2 शुरू करा सकती हैं। शीघ्रपतन के स्तर 1 के ही समान निदान होने पर इसका भी आसानी से इलाज हो सकता है।
स्तर ३: इस स्तर का शीघ्रपतन स्तर 2 के शीघ्रपतन के ठीक से इलाज न होने के फलस्वरूप होता है। बहुत विरल मामलों में अत्यंत मानसिक या दिनचर्या संबंधी दबाव महसूस कर रहे युवा पुरुषों में भी यह स्वतः प्रकट हो सकता है। इस समस्या का कारण मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामाइन के स्तरों में स्थायी असंतुलन हो जाना है, जो यौन आवेश को बहुत बढ़ा देता है जिसके कारण वीर्य स्खलनीय प्रतिवर्ती क्रिया चालू हो जाती है। इस स्तर के शीघ्रपतन का तुरंत इलाज होना चाहिए अन्यथा यह यौन अक्षमता* में बदल सकता है, जो कहीं अधिक जटिल रोग-स्थिति होती है।
स्तर ४: यह शीघ्रपतन का सबसे गंभीर स्थिति है क्योंकि यह अक्षमता का रूप ले चुकी होती है, इसी कारण इस स्थिति का ईलाज मुश्किल होता है।
शीघ्रपतन का उपचार
जब आप शीघ्रपतन से पीड़ित हों, तो यह ध्यान में रखना बहुत जरूरी है कि वह हर स्थिति में इलाज से ठीक हो जाता है और इसके सबसे गंभीर मामले भी लाइलाज नहीं हैं। इस समस्या को भी एक आम शारीरिक परेशानी की तरह लें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप शांत रहते हुए समस्या का तुरंत इलाज कराएं। आम तौर पर बिना इलाज कराए आप जितना अधिक समय बिताएंगे, समस्या उतनी ही उलझती जाएगी और उसका इलाज उतना ही कठिन होता जाएगा। शीघ्रपतन सभी पुरुषों को एक ही जैसे पीड़ित नहीं करता है। जो व्यक्ति स्त्री योनी में प्रवेश करने के पूर्व वीर्य स्खलन करता हो, और जो व्यक्ति संभोग क्रिया के पूरा हो जाने बाद वीर्य स्खलन करता हो, दोनों में एक ही प्रकार की समस्या नहीं है। इसलिए शीघ्रपतन का इलाज भी अलग-अलग होता है और वह शीघ्रपतन के प्रकार के अनुरूप होता है। होमियोपैथी में शीघ्रपतन का कारगर इलाज है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर शीघ्रपतन के अलग-अलग लक्षणों के आधार पर मरीज का इलाज किया जाए तो बीमारी पर बहुत हद तक काबू पाया जा सकता है।
होम्योपैथिक औषधियां: टेर्नेरा(डेमियाना), कोनियम, एसिड फॉस, सेलिक्स नाईग्रा, केलेडियम, सेलिनियम, विथानिया सोम्निफ़ेरा, य्होमबिनम, लाईकोपोडियम, बुफ़ो-राना आदि लक्षणानुसार लाभप्रद है। यह दवायें केवल उदहारण के तौर पर दी गयी है। कृपया किसी भी दवा का सेवन बिना परामर्श के ना करे, क्योकि होम्योपैथी में सभी व्यक्तियों की शारीरिक और मानसिक लक्षण के आधार पर अलग -अलग दवा होती है।
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